संपादकीय डेस्क. 12 मई 2025 को विश्व भर में बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी, जो भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण का प्रतीक है। यह पर्व शांति, करुणा और अहिंसा का संदेश देता है, जो आज के दौर में भारत और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के संदर्भ में विशेष रूप से प्रासंगिक है। हाल के घटनाक्रमों, जैसे पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर और सिंधु जल समझौते का निलंबन ने दोनों देशों के बीच तनाव को और गहरा किया है। ऐसे में, बुद्ध की शिक्षाएँ हमें शांति और संवाद के मार्ग पर विचार करने की प्रेरणा देती हैं।

भारत-पाकिस्तान संबंध: ऑपरेशन सिंदूर

भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध लंबे समय से जटिल रहे हैं, जिसमें कश्मीर विवाद, सीमा पार आतंकवाद और राजनयिक तनाव प्रमुख मुद्दे हैं। हाल ही में, अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने 26 नागरिकों की जान ले ली, जिसे भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जोड़ा। इसके जवाब में भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की और सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया, जिसे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। दोनों देशों ने अपने दूतावासों में कर्मचारियों की संख्या कम की और सोशल मीडिया पर प्रचार युद्ध ने तनाव को और बढ़ाया। 10 मई 2025 को युद्धविराम लागू हुआ, लेकिन पाकिस्तान द्वारा इसका उल्लंघन किए जाने से स्थिति और नाजुक हो गई।

कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं। अक्टूबर 2024 में करतारपुर साहिब कॉरिडोर समझौते को अगले पांच वर्षों के लिए नवीनीकृत किया गया, जो सिख तीर्थयात्रियों के लिए सुविधा प्रदान करता है। यह सहयोग का एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम है, जो दोनों देशों के बीच संवाद की संभावना को दर्शाता है। फिर भी, पाकिस्तान का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ता अलगाव, विशेष रूप से अफगानिस्तान और तुर्की जैसे देशों द्वारा समर्थन न मिलना और भारत का आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख, संबंधों को सामान्य करने में बड़ी बाधाएँ हैं।

बुद्ध की शिक्षाएँ

बुद्ध पूर्णिमा हमें भगवान बुद्ध की शिक्षाओं की याद दिलाती है, जो अहिंसा, करुणा, और मध्यम मार्ग पर जोर देती हैं। बुद्ध ने कहा, "क्रोध को प्रेम से, बुराई को अच्छाई से जीता जा सकता है।" यह संदेश भारत-पाकिस्तान संबंधों के संदर्भ में गहरा अर्थ रखता है। दोनों देशों के बीच हिंसा और तनाव का इतिहास रहा है, लेकिन बुद्ध की शिक्षाएँ हमें सिखाती हैं कि शांति केवल संवाद, सहानुभूति और आपसी सम्मान से ही संभव है।

बुद्ध का "मध्यम मार्ग" सिद्धांत हमें चरमपंथ और प्रतिशोध के बजाय संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा देता है। बुद्ध की अहिंसा की शिक्षा हमें यह भी सिखाती है कि हिंसा केवल और हिंसा को जन्म देती है और इसका समाधान केवल संयम और समझदारी से ही निकल सकता है।

बुद्ध पूर्णिमा और भारत-पाकिस्तान: एक आह्वान

बुद्ध पूर्णिमा का अवसर हमें यह सोचने के लिए प्रेरित करता है कि भारत और पाकिस्तान कैसे बुद्ध की शिक्षाओं को अपनाकर अपने संबंधों को बेहतर बना सकते हैं। दोनों देशों को आतंकवाद और हिंसा के मुद्दों पर खुलकर बातचीत करनी चाहिए, जिसमें एक-दूसरे की चिंताओं को समझने की कोशिश हो। भारत ने बार-बार कहा है कि वह आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख बनाए रखेगा, इसके साथ ही, बुद्ध की करुणा की भावना को अपनाते हुए, दोनों देश संवाद के लिए नए रास्ते तलाश सकते हैं।

पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन से दूरी बनानी होगी, जबकि भारत को राजनयिक और सांस्कृतिक सहयोग के अवसरों को बढ़ावा देना होगा। दोनों देशों के नागरिकों, विशेष रूप से युवाओं, को शांति और सहयोग के लिए प्रेरित करने में बुद्ध की शिक्षाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। सोशल मीडिया पर प्रचार युद्ध के बजाय, दोनों पक्ष बुद्ध के संदेशों को फैलाने के लिए इस मंच का उपयोग कर सकते हैं।

बुद्ध पूर्णिमा हमें याद दिलाती है कि शांति कोई असंभव लक्ष्य नहीं है, बशर्ते हम करुणा, संयम और संवाद के मार्ग पर चलें। भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव के बावजूद, बुद्ध की शिक्षाएँ हमें यह विश्वास दिलाती हैं कि हिंसा और अविश्वास का चक्र तोड़ा जा सकता है। 

इस बुद्ध पूर्णिमा पर, आइए हम बुद्ध के शांति और अहिंसा के संदेश को अपनाएँ और भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नई शुरुआत की उम्मीद करें।

"शांति भीतर से आती है। इसे बाहर न खोजें।"– बुद्ध