रायपुर. अंजनेया विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय और बायइनोवेल लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरु के सहयोग से तीन दिवसीय हैंड्स-ऑन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में बी.एससी., एम.एससी. और पीएचडी स्कॉलर्स ने भाग लिया।

प्रशिक्षण का पहला दिन पौधों से बायोएक्टिव यौगिकों के निष्कर्षण, रिएजेंट तैयारी और जैव-मेटाबोलाइट्स की गुणात्मक जांच, एवं थिन लेयर क्रोमैटोग्राफी (TLC) की स्थिर और चल अवस्थाओं की तैयारी व मेटाबोलाइट्स के लक्षण निर्धारण पर केंद्रित रहा।

दूसरे दिन के प्रशिक्षण में पौधों के अर्क की फार्माकोलॉजिकल अध्ययन, एंटीमाइक्रोबियल परीक्षण, न्यूनतम निरोधक सांद्रता (MIC) और नैनोपार्टिकल्स की ग्रीन सिंथेसिस जैसे विषयों को शामिल किया गया। साथ ही, संश्लेषित नैनोपार्टिकल्स की विशेषताओं का अध्ययन एवं इन-विट्रो परीक्षण भी किया गया।

तीसरे और अंतिम दिन, एंटीऑक्सिडेंट परीक्षण, कॉलम क्रोमैटोग्राफी की स्थिर एवं चल अवस्थाओं की तैयारी, क्रोमैटोग्राफी प्रक्रिया, एवं जैव-मेटाबोलाइट्स के पृथक्करण और उनके लक्षण निर्धारण पर प्रशिक्षण दिया गया।

कार्यशाला में 40 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला के समापन समारोह में कुलाधिपति श्री अभिषेक अग्रवाल, कुलपति डॉ. टी. रमा राव, महानिदेशक डॉ. बीसी जैन, रजिस्ट्रार डॉ. रूपाली चौधरी, विज्ञान संकाय की डीन डॉ. शिल्पा शर्मा उपस्थित थे।

कार्यशाला के प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट प्रदान किए गए। विज्ञान संकाय की डीन डॉ. शिल्पा शर्मा ने कार्यशाला के उद्देश्यों और विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

इस कार्यक्रम के आयोजन में विज्ञान संकाय की डीन डॉ. शिल्पा शर्मा और आयोजन सचिव डॉ. सचिन कुमार दास का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

कार्यशाला का उद्देश्य पौधा जैव रसायन और नैनो जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवीनतम विकास और अनुप्रयोगों के बारे में जानकारी प्रदान करना था, जिससे प्रतिभागियों को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने में मदद मिल सके।

कार्यक्रम में भाग लेने वाले छात्रों और शोधार्थियों ने प्रयोगात्मक प्रशिक्षण के इस अवसर को अत्यंत लाभदायक बताया। यह प्रशिक्षण न केवल अनुसंधान एवं प्रयोगशाला तकनीकों में दक्षता प्रदान करता है, बल्कि विज्ञान एवं नवाचार के क्षेत्र में छात्रों के कौशल विकास को भी बढ़ावा देता है।